हिंदू धर्म और क्षमा

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हिंदू धर्म को प्राचीन काल में सनातन धर्म कहा जाता था | विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक हिंदू धर्म भी है | इसमें कोई दो राय नहीं है , कि इस धर्म में दया , करुणा , क्षमा इत्यादि का एक विशिष्ट स्थान है | जो कि दूसरे धर्म की तुलना में कहीं अधिक है | और यही कारण है , कि हिंदू धर्म अन्य धर्मों से भिन्न है | जो कि इसे एक महान धर्म के रूप में प्रदर्शित करती है |

हिंदू धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमादान आदि है | जिसका प्रत्येक हिंदू अपने मन और कर्म से पालन करने की कोशिश करता है | हिंदू धर्म में दया और क्षमा का बहुत अधिक महत्व है | अन्य धर्मों में भी हिंदू धर्म का उल्लेख मिलता है |

हिंदू धर्म में सबसे बड़ी ताकत क्षमा करना या फिर क्षमा माँगना को माना जाता है | क्योंकि हिंदू धर्म में ना ही किसी व्यक्ति को अपने से बड़ा या फिर सर्वश्रेष्ठ , और ना ही अपने से नीचे माना जाता है | हिंदू धर्म में सभी व्यक्ति , महिलाएं सामान है | और यही इसकी एक अच्छी पहचान है |

हिंदू धर्म के इतिहास में जाकर देखें तो कहा गया है , कि क्षमा वीरो का आभूषण है , जो व्यक्ति अपने आपको वीर बनाना चाहता है | उसे क्षमा करना सीखना ही पड़ता है | क्योंकि बिना क्षमा के व्यक्ति वीर नहीं बन पाता है | क्षमा करना और क्षमा माँगना कुछ ऐसी विशेष चरित्रों में से एक है , जो व्यक्ति को ताक़तवर बना देते हैं |

इतिहास उठाकर देखें जितने भी महान राजा हुए हैं , उन सभी ने क्षमा माँगना और क्षमा करने की प्रवृत्ति होती थी | जो व्यक्ति और राजा अपने आपको या फिर किसी दूसरे को क्षमा करने में सक्षम नहीं होता , वह व्यक्ति और राजा अपने जीवन काल में महानतम दर्जे पर नहीं पहुंच सकता | जो व्यक्ति मान की चाहत रखता है , मान का अर्थ यहां पर अहंकार से है | जो व्यक्ति अपने अंदर अहंकार की भावना रखता है | वह व्यक्ति अपने सगे संबंधियों से संबंध अच्छे नहीं कर पाता है |

इस मान की वजह से व्यक्ति अपने आपको सर्वश्रेष्ठ समझने लगता है , और इसी की वजह से उसके संबंध आए दिन बिखरने लगते हैं | और धीरे-धीरे उसका यह अहंकार गुस्से में परिवर्तित हो जाता है | वह जाने अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर देता है | परंतु फिर भी हिंदू धर्म में व्यक्तियों को उनकी ग़लतियों पर क्षमा करना प्रथम कार्य है | जो व्यक्ति क्रोध , अहंकार , क्रूरता इत्यादि जैसी अन्य चीजों के घेरे में आ जाता है | वह व्यक्ति अपने आंतरिक मन को भी सुख नहीं दे पाता है | इसलिए क्षमा करना सीखना बहुत ही जरूरी है |

रामधारी सिंह दिनकर ( भारतीय कवि ) ने अपनी कविता में क्षमा के बारे में कुछ लिखा है , जो कि इस प्रकार है :-

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो। डसको क्या जो दंतहीन, विषरहित विनीत सरल हो।।

Meaning :- (Forgiveness is becoming of the serpent that’s got venom, none cares for the toothless, poisonless, kind & gentle one)

इसका अर्थ यह है , कि यदि हमने माफी मांगने या फिर माफी करने करना जैसे गुण अपने अंदर विकसित कर लिए तो हम वास्तव में अपने गुस्से पर काबू कर सकते हैं , मुस्कुरा सकते हैं और अपने जीवन को खुश-हाल बना सकते हैं |

इसलिए क्षमा करना सीखना बहुत ही जरूरी है ? अब सवाल यह उठता है , कि क्षमा करना सीखे कैसे ? इस कार्य में “ The Four StepOf Forgivness “ आपकी सहायता कर सकता है | जिसका उपयोग करके आप क्षमा कैसे करें सीख सकते हैं | इसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि , आप किस धर्म से संबंध रखते हैं या फिर आपका कोई धर्म है या नहीं | यदि आप क्षमा करना सीखना चाहते हैं , तो इसकी निशुल्क कॉपी नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं |

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