मुक्त ebook डाउनलोड. क्षमा के चार चरण
बौद्ध धर्म में क्षमा का बहुत अधिक महत्व है | क्या “ माफ करना ” सीखे बिना महात्मा बुद्ध इतने आत्मज्ञानी हो सकते थे | निश्चित रूप से यह संभव नहीं हो सकता है | क्या हम एक बोधिसत्व की कल्पना कर सकते हैं , जो दयालु होने के साथ-साथ करुणा के सागर हो ? निश्चित रूप से , यह भी अकल्पनीय होगा | इसलिए हमें आत्मज्ञान की दिशा या मार्ग में ” क्षमा कैसे करें ” को शामिल करने की आवश्यकता है |
महात्मा बुध द्वारा सिखाए गए आठ रास्ते और चार महान सत्य के अनुसार जीवन जीने के साथ अक्षमाशील रवैया फिट नहीं हो सकता | क्योंकि अक्षमाशील रवैया प्रति-शोध , लालसा के नियंत्रण रूपों में से एक है ,और यह दूसरों को पीड़ित करता है | फिर चाहे वह कितना भी उचित क्यों नहीं हो | इसलिए केवल स्वयं को दुखी करने वाले ही दूसरों के दुख दूर करने का काम कर सकते हैं |
क्षमा करना सीखना और उसे हमारे रोज़मर्रा के अभ्यास का हिस्सा बनाना , योग्यता हासिल करने का एक हिस्सा हो सकता है | क्योंकि वास्तव में , हम क्षमा करने का तरीका सीखने से बहुत सारी योग्यता हासिल कर सकते हैं | हम योग्यता प्राप्त करते हैं , क्योंकि हम माफ करना जानते हैं या फिर माफ करना सीखते हैं | हम अतीत के दर्द को भूलने या कम करने में सक्षम होते हैं | और अपने वर्तमान जीवन को खुश-हाल और तनाव-मुक्त बनाते हैं | हम दूसरों के प्रति अधिक दयालु बनने में भी योग्यता प्राप्त करते हैं | हम उनके और उनके दुख के प्रति अपनी सहानुभूति महसूस करते हैं | भले ही उनके दुख ने हमें अपने वर्तमान काल में कितने ही दुख का भागी भी क्यों न बना दिया हो |
स्वयं को भी क्षमा करने से योग्यता बनती है | हम अपने आप को ऐसा कभी नहीं बनाएँगे , जिसके हम लायक नहीं हैं | इसलिए जब हम खुद के प्रति अक्षमता महसूस कर रहे होते हैं | तो हम अपने जीवन में अच्छाई के रास्ते को छोड़कर गलत रास्ते पर चलने लगते हैं | इसका मतलब यह होगा , कि हमारे पास दूसरों के साथ बांटने के लिए कम अच्छाई है | परंतु जब हम खुद को माफ कर देते हैं | तो हम अपने जीवन में और अधिक अच्छाई लाने की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं | ताकि हम उस अच्छाई को अपने साथी या फिर दुनिया को बांटने में सक्षम हो सके | हम दूसरों के प्रति अधिक क्षमा महसूस इसलिए कर पाते हैं , क्योंकि हम अपने स्वभाव में कठोरता को दूर कर दयालु भाव उत्पन्न कर लेते हैं |
क्षमा का अभ्यास करने जैसा ही एक उपाय है “ The Four Step Of Forgivness ” . जिससे कि हमें अपने मन को शांत करने , क्रोध भावना और आक्रोश जैसे विचारों को दूर करने में मदद मिलती है | इस तरह का उपाय नियमित रूप से करने से हमें अपने मन की एक ऐसी स्थिति का एहसास होता है | जहां पर क्षमा करने के कार्य बहुत ही कम आवश्यक लगने लगते हैं | उस स्थिति में हमें क्षमा करने की बहुत कम आवश्यकता होती है | क्योंकि उस समय हम अपने दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं के प्रति कम प्रतिक्रिया देने लगते हैं |
क्षमा के बारे में कुछ रहस्यमय तथ्य भी हैं | क्षमा केवल इच्छा का कार्य नहीं है | हम सिर्फ माफ करने का फैसला ही नहीं करते हैं | यह इससे कहीं अधिक है , जैसे कि हम क्षमा के बहाव में बहते हैं | जैसे कि हम नींद की अवस्था में बहते हैं | हम अपने दिमाग और मन का उपयोग सही स्थिति बनाने के लिए करते हैं , जहां पर हमें नींद आ सकती है | लेकिन हम खुद को सो जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते |इसी तरह हम किसी को ज़बरदस्ती माफ नहीं कर सकते | यह तो सिर्फ उस समय की अवस्था पर निर्भर करता है |
माफ करना भी नींद की तरह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है | यदि हम खुद को मजबूर करके , सोने की कोशिश करते हैं | तो इसके विपरीत हम और अधिक जागृत हो जाते हैं | हम “ The Four Step Of Forgivness ” का उपयोग करके क्षमा करना सीख सकते हैं | यह हमें हमारे बुद्ध स्वभाव से जोड़ता है – जो कि बाद में माफ करने की इच्छा को जागृत करने की अनुमति देता है | फिर भी माफ करना हमारे अच्छे स्वभाव की कृपया से ही होता है , ना की किसी के प्रभाव में आकर |
जैसे हम प्रकृति पर भरोसा करके अपने बगीचे में के बीच लगाते हैं | ठीक उसी प्रकार हमें अपने बुद्ध के स्वभाव पर भी भरोसा करना चाहिए | जिससे कि वह हमें या फिर हमारे क्षमा के प्रयासों का प्रभाव दूसरे पर दिखाने में मदद कर सके | यह करना हमारे प्रयासों में और अधिक शक्ति जोड़ देता है | जिससे कि हम क्षमा करने के लायक बन पाते हैं , जो कि हमने पहले कभी नहीं सोचा होता है |
नीचे दिए गए लिंक में से एक लिंक का उपयोग करके आप अपने लिए ” The Four Step Of Forgivness ” की मुफ्त कॉपी डाउनलोड कर सकते हैं, और क्षमा के बारे में अच्छी तरह जान सकते हैं | और स्वयं भी अजमा कर देख सकते हैं |
मुक्त ebook डाउनलोड. क्षमा के चार चरण
क्षमा के चार चरण
स्वच्छंदता, प्रसन्नता एवं सफलता का प्रभावशाली तरीका।प्रयोग
विलियम फर्गस मार्टिन
ISBN: 978-1-942526-54-4